प्रयागराज के संगम तट पर स्थित प्रसिद्ध लेटे हनुमान मंदिर के कपाट मंगलवार को 11 दिन बाद श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। हाल ही में आई बाढ़ के कारण गंगा और यमुना का जलस्तर बढ़ने से मंदिर पूरी तरह जलमग्न हो गया था। इस दौरान गर्भगृह तक पानी भर गया और मंदिर प्रशासन को श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक लगानी पड़ी।
मंदिर के मुख्य पुजारी बलबीर गिरि महाराज ने बताया कि इस वर्ष गंगा-यमुना ने कुल पांचवीं बार लेटे हनुमान जी का जलाभिषेक कराया। आखिरी बार 5 सितंबर की शाम को पानी गर्भगृह तक पहुँचा और हनुमान जी का स्नान हुआ। इसके बाद लगातार 11 दिनों तक पूरा मंदिर पानी में डूबा रहा। न तो आरती हो सकी और न ही विधिवत पूजा-अर्चना।
सोमवार को जब गंगा का पानी कम हुआ, तो सबसे पहले मंदिर के अंदर से जल निकासी कराई गई। फिर सफाई अभियान चलाया गया और गर्भगृह को पूरी तरह स्वच्छ किया गया। मंगलवार सुबह विधि-विधान से पूजा शुरू हुई। मुख्य पुजारी ने दूध, गंगाजल और पंचामृत से लेटे हनुमान जी का अभिषेक किया। इसके बाद विशेष श्रृंगार कर हनुमान जी की आरती उतारी गई। पूजा-अर्चना के उपरांत भक्तों के लिए कपाट खोल दिए गए।
मंदिर खुलते ही श्रद्धालुओं में उत्साह का माहौल देखने को मिला। बड़ी संख्या में लोग संगम तट पर पहुंचकर दर्शन के लिए उमड़े। कई भक्तों ने इसे आस्था और सौभाग्य का क्षण बताया। लोगों का कहना था कि बाढ़ के दौरान वे प्रतिदिन तट तक आते थे, लेकिन जलस्तर अधिक होने की वजह से केवल दूर से ही श्रद्धांजलि अर्पित कर लौटना पड़ता था।
बाढ़ के चलते इस वर्ष लेटे हनुमान मंदिर कई बार जलमग्न हुआ। पहली बार जुलाई के मध्य में पानी गर्भगृह तक पहुँचा था और उसके बाद अगस्त व सितंबर में भी मंदिर डूबता रहा। गंगा-यमुना के संगम पर स्थित होने के कारण हर वर्ष बरसात के मौसम में मंदिर तक जल पहुँच जाता है और इसे हनुमान जी का “गंगा-यमुना स्नान” माना जाता है।
अब कपाट खुलने के बाद मंदिर परिसर में नियमित आरती और पूजा-पाठ शुरू कर दी गई है।