स सप्ताह गुरुवार और शुक्रवार को सावन महीने की पूर्णिमा है। इन दोनों दिनों में रक्षा बंधन पर्व मनाया जाएगा। पंचांग भेद की वजह से कुछ जगहों पर 11 अगस्त और कुछ जगहों पर 12 अगस्त को बहनें अपने भाइयों को रक्षा सूत्र बांधेंगी। इस पर्व का संदेश यह है कि हमें अपनी बहनों के साथ ही अन्य सभी लड़कियों और महिलाओं का सम्मान करना चाहिए।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक इस पूर्णिमा पर सावन महीना खत्म हो जाएगा। सावन महीने में शिव पूजा करने का ये अंतिम दिन रहेगा। इस दिन शिवलिंग पर सभी भक्तों को तांबे के लोटे से जल चढ़ाना चाहिए। चांदी के लोटे से दूध अर्पित करें। बिल्व पत्र, दूर्वा, आंकड़े के फूल, गुलाब, चंदन आदि पूजन सामग्री, भोग चढ़ाएं और धूप-दीप जलाकर आरती करें।
अगर सावन पूर्णिमा पर राशि अनुसार शिव पूजन किया जाए तो ये सभी नौ ग्रहों की पूजा करने जैसा शुभ रह सकता है।
जानिए सभी 12 राशियों के लिए शिव पूजा से जुड़ी खास बातें…
मेष– शिवलिंग का श्रृंगार चंदन से करें। भगवान को माखन-मिश्री का भोग बिल्व पत्र के साथ लगाएं।
वृषभ– शिव मंदिर में पूजा करें और शिवलिंग का श्रृंगार सफेद फूलों से करें। मौसमी फलों का भोग लगाएं।
मिथुन– इस राशि के लोग शिवलिंग का श्रृंगार आंकड़े के फूलों से करें। पूजा करें और इसके बाद जरूरतमंद लोगों को दूध का दान करें।
कर्क– ये लोग चंदन और सफेद फूलों से शिवलिंग का श्रृंगार करें और दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं।
सिंह– शिव मंदिर में शिवलिंग पर सफेद वस्त्र अर्पित करें। नारीयल चढ़ाकर पूजा करें।
कन्या- इस राशि के लोगों को शिवलिंग पर दूर्वा विशेष रूप से चढ़ानी चाहिए। मिठाई का भोग लगाकर आरती करें।
तुला- ये लोग शिवलिंग का अभिषेक गाय के दूध से बने घी से करें। दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं और पूजा करें।
वृश्चिक– इन लोगों को शिवलिंग का अभिषेक दूध से करना चाहिए। शिवलिंग का श्रृंगार सफेद फूलों से करें।
धनु- इस राशि के लोग पीले फूलों से शिवलिंग का श्रृंगार करें। गुड़ का भोग लगाएं।
मकर– ये लोग शिव पूजा में नीले फूलों का उपयोग ज्यादा करें। जरूरतमंद लोगों को तेल का दान करें।
कुंभ– इस राशि के लोग शिवलिंग पर चंदन का लेपन करें। मिठाई का भोग लगाकर भगवान की पूजा करें।
मीन- इस राशि के लोग शिवलिंग के पास मूंग और उड़द के आटे से बने दीपक जलाएं। भगवान को पीले फूल चढ़ाएं।
पूर्णिमा पर कर सकते हैं ये शुभ काम भी
पूर्णिमा पर भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी का अभिषेक भी करना चाहिए। अभिषेक केसर मिश्रित दूध से और दक्षिणावर्ती शंख की मदद से करना चाहिए।
गुरुवार और पूर्णिमा के योग में गुरु ग्रह की पूजा भी करें। गुरु ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है। शिवलिंग चने की दाल, पीले फूल चढ़ाएं। बेसन के लड्डू का भोग लगाएं। भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ें और सुनें।