durg news
जिला अस्पताल का आइसोलेशन वार्ड बनाने की तैयारी
बेहतर इलाज के लिए जिला अस्पताल में नए इंतजाम किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में गंभीर मरीजों के इलाज के लिए यहां देश के 602 जिलों की तरह 50 बेड का क्रिटिकल केयर हाॅस्पिटल बनाने राज्य से प्रशासकीय स्वीकृति मिल गई है। इस हाॅस्पिटल की इमारत 16.63 करोड़ रुपए में तैयार कराने के साथ ही 7.12 करोड़ रुपए में उपकरण खरीदे जाने हैं। यही नहीं जिला अस्पताल परिसर में ही 2.5 करोड़ में एक डिस्ट्रिक ट्रेनिंग सेंटर, 70 लाख रुपए में ट्रांजिट हॉस्टल और 30 लाख रुपए में ट्रू-नॉट लैब भी बनाई जानी है। इसके पहले यहां एक वायरोलॉजी लैब, सर्जिकल विंग, मदर चाइल्ड यूनिट, न्यू ओपीडी ब्लाॅक, ट्रामा यूनिट तैयार करा दी गई है।
क्रिटिकल केयर यूनिट: गंभीर मरीजों का इलाज
क्रिटिकल केयर हाॅस्पिटल मुख्य अस्पताल से अलग होगा। इसके लिए डॉक्टर व स्टाफ भी अलग रहेंगे। कोविड या किसी अन्य किसी गंभीर बीमारी की चपेट में आने वाले मरीज यहां भर्ती किए जाएंगे। दुर्घटना का शिकार मरीजों को सीधे यहीं भेजा जाएगा। हर तरह की गंभीरता को सामान्य करने के इंतजाम यहां रहेंगे। इससे जिले के लोगों को काफी राहत मिलेगी।
अभी क्या : कोरोना के गंभीर मरीज हो या मार्ग दुर्घटना में घायल मरीज वेंटिलेटर जैसी जीवनदायिनी मशीन रहने के बाद भी जिला अस्पताल से उन्हें रेफर किया जा रहा है। इनमें से जिन मरीजों की स्थिति रायपुर तक पहुंचने की नहीं हो रही, उनके परिजन उन्हें स्थानीय निजी अस्पताल में भर्ती करा रहे हैं। अब यहां व्यवस्था होगी।
डिस्ट्रिक ट्रेनिंग सेंटर : मशीनों को चलाने ट्रेनिंग यहीं होगी
जिला अस्पताल में हर साल कोई न कोई नई मशीन इंस्टॉल होती है। इसके लिए ट्रेंड स्टाफ नहीं होने से महीनों तक मरीजों को उस मशीन का लाभ नहीं मिल पाता है। ट्रेनिंग सेंटर बन जाने से मशीनों के संचालन के साथ ही अन्य ट्रेनिंग प्रोग्राम यहां रेगुलर संचालित होगा। इससे ट्रेंड स्टाफ ब्लाॅक में तैयार होते रहेंगे। इससे मरीजों को लाभ होगा।
ट्रांजिट हॉस्टल : नर्सिंग के स्टूडेंट को ठहरने सुविधा
जिला अस्पताल में कई ट्रेनिंग प्रोग्राम संचालित हैं। आगे और भी प्रोग्राम चलाने की योजना है। लेकिन इनके स्टूडेंट के लिए वेल-अप-टू-डेट हास्टल एक भी नहीं है। इसी को ध्यान में रखते हुए एक ट्रांजिट हास्टल बनाया जाना तय हुआ है। हास्टल के बन जाने से नर्सिंग या अन्य स्टूडेंट को ठहरना सुविधा जनक हो जाएगा।
अभी क्या : जिला अस्पताल परिसर में अभी जीएनएम स्टूडेंट के लिए तैयार हॉस्टल ही है। उसकी स्थिति भी जीर्ण-शीर्ण हो गई है। बिल्डिंग होने के साथ ही स्पेश भी कम है। ऐसे में निर्धारित संख्या तक के स्टूडेंट ही ठहर सकते हैं। अधिक संख्या होने पर यहां ठहरने के इंतजाम नहीं है। नया हॉस्टल बनने से छात्रों को फायदा होगा। रहने की समस्या दूर होगी।
25 लाख में टीबी अस्पताल भी बनेगा, प्रस्ताव पास
बारिश के समय जिला टीबी अस्पताल में पानी-पानी होने की परेशानी से शीघ्र ही निजात मिलेगी। क्योंकि 25 लाख की लागत से अलग टीबी अस्पताल बनेगा। इसी अस्पताल में जिला क्षय रोग अधिकारी कार्यालय व मरीजों की दवा वितरण कक्ष भी स्थापित रहेगा। इसके लिए भी प्रस्ताव पास हो गया है। इसका भी जल्द निर्माण शुरू होगा।
क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल की स्वीकृति मिल गई है
50 बेड के क्रिटिकल केयर ब्लाॅक की प्रशासकीय स्वीकृति मिल गई है। इसकी बिल्डिंग बनाने में 16.63 करोड़ रुपए और मशीनों के खरीदारी में 7.12 करोड़ रुपए खर्च किया जाना है। इसके अलावा एक ट्रांजिट हॉस्टल, एक ट्रेनिंग सेंटर, एक ट्रू-नॉट लैब भी बनाई जानी है। -डॉ. वाई के शर्मा, सिविल सर्जन, दुर्ग