बढ़ती बेरोजगारी: गूगल, अमेजन, फेसबुक जैसी कंपनियों में धड़ाधड़ जा रही नौकरियां:कुछ महीनों में 80 हजार कर्मचारी निकाले गए; बड़ी कंपनियां क्यों कर रही हैं छंटनी?

KHABREN24 on January 22, 2023

गूगल के सीईओ सुन्दर पिचई ने 12,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की घोषणा की है। दुनिया की बड़ी टेक कंपनियों में हो रही छंटनी के बीच गूगल का मामला लेटेस्ट है। पिछले कुछ दिनों में माइक्रोसॉफ्ट, ट्विटर, फेसबुक जैसी बड़ी टेक कंपनियों ने अपने हजारों कर्मचारियों को नौकरी से निकालकर घर बिठा दिया है।

आज भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे की आखिर इस वक्त बड़ी टेक कंपनियां लगातार अपने कर्मचारियों को नौकरी से क्यों निकाल रही हैं? भारत के लोगों पर इसका कितना असर पड़ रहा है?

ट्विटर ने 50% कर्मचारियों को नवंबर में निकाला
नवंबर 2022 में सबसे पहले बड़ी टेक कंपनी ट्विटर ने एक साथ 3,800 कर्मचारियों को निकालने का ऐलान किया। ये आंकड़ा ट्विटर में काम करने वाले कुल कर्मचारियों का 50% था। इसके कुछ दिनों बाद ही एलन मस्क ने 4,500 कॉन्ट्रैक्ट बेस्ड कर्मचारियों की छुट्टी कर दी।

हैरानी की बात ये है कि बिना नोटिस दिए अचानक से इन कर्मचारियों को निकाला गया था। इन्हें नौकरी से निकाले जाने का एहसास तब हुआ जब इनकी डीटेल से इनका अकाउंट लॉग इन नहीं हुआ। इस दौरान एलन मस्क ने इंडियन टीम में काम कर रहे 230 में से 180 कर्मचारियों को भी नौकरी से निकाला।

फेसबुक ने 11,000 कर्मचारियों को एक झटके में निकाला
नवंबर 2022 में ही फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा ने एक झटके में 11,000 कर्मचारियों की छंटनी करने की घोषणा की। मेटा सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने अपने कर्मचारियों को लेऑफ की जानकारी देते हुए लिखा था कि बड़ी टेक कंपनियां मुश्किल दौर से गुजर रही हैं। कंपनी के लिए प्रॉफिट कमाना मुश्किल होता जा रहा है। ऐसे में कर्मचारियों को निकालने का यह फैसला लेना कंपनी की मजबूरी हो गई है।

अमेजन ने 18,000 को नौकरी से निकाला तो एप्पल ने बहाली रोकी
ट्विटर और फेसबुक के अलावा अमेजन तीसरी बड़ी कंपनी है, जिसने 18,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया। इनमें से 1,000 भारतीय थे। इस चेन में स्नैपचैट और माइक्रोसॉफ्ट का नाम भी है। वहीं एप्पल ने नए लोगों की भर्ती पर रोक लगा दी है।

एक्सपर्ट्स का मानना था कि लेऑफ यानी छंटनी का असर गूगल जैसी कंपनियों पर कम होगा, लेकिन डिजिटल एडवरटाइजिंग से होने वाली कमाई में कमी होने पर गूगल भी छंटनी करने वाली कंपनियों में शामिल हो गया है। 2022 में कुल 50 बड़ी टेक कंपनियों ने दुनिया भर में 1 लाख लोगों को नौकरी से निकाला था।.

अब समझते हैं की आखिर ये बिग टेक कंपनियां ऐसा क्यों कर रही हैंं? इसकी 4 बड़ी वजहें हैं…

1. कोविड के दौरान मास हायरिंग की, लेकिन अब डिमांड नहीं है
टेक कंपिनयों ने कोविड माहामारी के दौर में लगभग हर चीज को ऑनलाइन उपलब्ध कराने के लिए बड़े इन्वेस्टमेंट किए। इस दौरान ऑनलाइन क्लास, मीटिंग्स जैसे प्लेटफॉर्म्स से लेकर ऑनलाइन शॉपिंग और खाने की डिलीवरी कर रही कंपनियों ने अपना बिजनेस बढ़ाया।

इन कंपनियों ने बड़ी संख्या में लोगों को नौकरियां देकर मार्केट की डिमांड पूरी की। मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने अपनी कंपनी के 13% यानी 11,000 कर्मचारियों की छंटनी की वजह कोविड महामारी के दौरान की गई मास हायरिंग को बताया था।

जुकरबर्ग ने पोस्ट शेयर करते हुए लिखा था कि महामारी के दौरान टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बढ़ती डिमांड को देखते हुए हमने बड़े पैमाने पर नौकरियां दीं। हमें उम्मीद थी कि ये डिमांड आगे भी बनी रहेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मेटा को डिजिटल एडवरटाइजिंग में कमी आने की वजह से लगातार नुकसान झेलना पड़ा है। कोविड महामारी का असर कम होने के बाद बड़ी टेक कंपनियों के मुनाफे में कमी आने लगी।

टेक कंपनियों की कमाई का बड़ा हिस्सा डिजिटल एडवरटाइजिंग से आता है। महामारी के बाद मार्केट डिमांड कम होने का असर एडवरटाइजिंग पर भी पड़ा। एक साल में फेसबुक मेटा की सालाना कमाई 756 करोड़ से कम होकर 351 करोड़ पर आ गई।

2. स्टार्टअप्स को नहीं मिल रहे हैं इन्वेस्टर्स
लगातार वर्ल्ड बैंक और वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम जैसे संस्थानों से वैश्विक मंदी की चेतावनी मिलने की वजह से स्टार्टअप इकोसिस्टम लड़खड़ा रहा है। स्टार्टअप्स आमतौर पर इन्वेस्टर्स से मिले रिस्क कैपिटल के भरोसे अपना बिजनेस आगे बढ़ाते हैं।

ट्रक्सन, ग्लोबल स्टार्टअप डेटा प्लेटफार्म के मुताबिक साल 2022 में भारत में 266 टेक स्टार्टअप कंपनियां फंडिंग न मिल पाने की वजह से बंद हो गईं।

वहीं स्टेटिसटिक ब्रेन रिसर्च इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में 90% स्टार्टअप्स जो फेल हुए वो इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी सेक्टर से जुड़े थे। इसकी वजह है वैश्विक मंदी के बीच इन्वेस्टर्स और फंड्स का नहीं मिल पाना।

3. कंपनियों पर खर्च कम करने का दबाव बना रहे हैं इन्वेस्टर्स
किसी स्टार्टअप या कंपनी को फंडिंग मिलने के बाद होने वाले मुनाफे से इन्वेस्टर्स को रिटर्न चुकाना होता है। मार्केट में डिमांड कम होने की वजह से कंपनियों की कमाई कम हुई। ऐसे में रिटर्न चुकाने के लिए कंपनियां खर्चे कम करने की कोशिश करती हैं। इसी का नतीजा है कि लोगों को नौकरी से निकाला जा रहा है।

गूगल के इन्वेस्टर टीसीआई फंड मैनेजमेंट के डायरेक्टर क्रिस होन ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर एक पोस्ट शेयर करते हुए गूगल को अपने प्रॉफिट मार्जिन के टारगेट फिक्स करने, कंपनी के शेयर बढ़ाने और नुकसान को कम करने की सलाह दी थी। इन्होंने गूगल में जरूरत से ज्यादा कर्मचारी होने और इन कर्मचारियों पर जरूरत ज्यादा खर्च करने का भी जिक्र किया था।

4. वैश्विक मंदी
छंटनी का सबसे बड़ा कारण वैश्विक मंदी को माना जा रहा है। मार्केट में सुस्ती आई है। महामारी और रूस-यूक्रेन जंग की वजह से अर्थव्यवस्था में डिमांड और सप्लाई में काफी-उतार चढ़ाव आया। चीन, ब्रिटेन, अमेरिका, भारत और जापान जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था में इसका असर देखने को मिला है।

जरूरी सामान जैसे अनाज, दवाईयां और क्रूड ऑयल की सप्लाई चेन बिगड़ी और डिमांड बढ़ती गई। इसकी वजह से महंगाई बढ़ गई। पिछले साल भारत में महंगाई दर लगातार 9 महीने तक आरबीआई की तय सीमा 6% से ऊपर रही। 1982 के बाद जून 2020 में अमेरिका की महंगाई दर 9.1% के सबसे ऊंचे स्तर पर थी।

आसान शब्दों में समझें तो महंगाई दर का तय सीमा से ज्यादा होने का मतलब है कि लोगों को 10 रुपए की चीज के लिए 50 रुपए देने होते हैं। इससे पैसे की वैल्यू कम होती है। ऐसे में लोगों की खर्च करने की कैपेसिटी भी कम हो जाती है।

इसे कंट्रोल करने के लिए सेंट्रल बैंक रेपो रेट बढ़ा देता है। रेपो रेट यानी जिस ब्याज दर पर आरबीआई दूसरे बैंकों को लोन देता है। रेपो रेट ज्यादा होने की वजह से कंपनियों को अपना बिजनेस बढ़ाने में परेशानी होती है। ऐसे में नेट प्रॉफिट ज्यादा हो इसलिए कंपनियां अपना खर्च कम करने की कोशिश करती हैं। इस वजह से कंपनियां अपने कर्मचारियों की सैलरी में कटौती करती हैं या उन्हें नौकरी से निकाल देती हैं।

Shree Shyam Fancy
Balaji Surgical
S. R. HOSPITAL
5 1 vote
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x