वाराणसी समेत पूर्वांचल भर के उद्योगपतियों और व्यवसायियों ने इसे यूपी के ओवरऑल ग्रोथ वाला बजट बताया है। इसे जॉब क्रिएटिंग और एग्रो डेवलपमेंट वाला बजट कहा जा रहा है। कहा जा रहा है कि औद्योगिक विकास और सेवा क्षेत्रों के बीच संतुलन साधा गया है। व्यवसायी, इकोनॉमिस्ट और छात्र जहां इस बजट की तारीफ कर रहे हैं, वहीं, विपक्ष के नेताओं ने इसे बेहद घटिया और हवा-हवाई बताया।
इस बजट पर राज्य के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने वाराणसी, गोरखपुर और दूसरे शहरों में मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के लिए 100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। हालांकि, वाराणसी में मेट्रो की जगह रोपवे सेवा शुरू की जा रही है। इसके लिए बजट में 150 करोड़ रुपये दिए गए हैं। इसकी काफी तारीफ हो रही है।
पिछले बजट का आधा भी नहीं हो पाया खर्च
विधान परिषद सदस्य (MLC) आशुतोष सिन्हा ने कहा कि भाजपा सरकार पिछले फाइनेंशियल ईयर के बजट के सापेक्ष आधा भी खर्च नही कर पाई है। यह हवा-हवाई वाला बजट है। इस साल वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने 6 लाख 90 हजार करोड़ रुपए का बजट पेश किया है, लेकिन हमें यह जानना जरूरी है कि पिछले बजट में जो पैसे दिए गए थे उसका क्या हुआ? जैसे यूपी में कृषि विभाग को पिछले वित्तीय वर्ष में 7140 करोड़ का बजट मिला, लेकिन उसमे 3110 करोड़ रुपए ही अभी तक खर्च हो पाए। प्रति व्यक्ति कर्ज 18476 रुपए से बढ़कर करीब 26000 रुपए पर पहुंच गया है। किसानों की ऋणमाफी, युवाओं के लिए रोजगार, कर्मचारियों की पुरानी पेंशन, शिक्षामित्रों, अनुदेशकों, प्रेरकों, वित्तविहीन शिक्षकों और प्रशिक्षु अधिवक्ताओं के मानदेय साथ में वयोवृद्ध अधिवक्तों के लिए पेंशन, मदरसा शिक्षकों के राज्यांश और महंगाई पर रोकथाम हेतु कोई बात नही हुई है।
बजट पर दिखा GIS का इफेक्ट
वाराणसी के उद्यमी रजत सिनर्जी ने बताया कि यूपी सरकार प्रदेश पर भरोसा करने के लिए बहुत स्पष्ट नीति संदेश भेजने में कामयाब रही है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान 33.5 लाख करोड़ रुपए के MOU पर हस्ताक्षर हुए। उसके बाद ये बजट, सभी निवेशकों के लिए एक स्पष्ट और जोरदार संदेश है कि सरकार की ओर से हर व्यवसाय के विकास को पोषित करने के लिए नीति तैयार कर ली गई है।
रोजगार देने वाला बजट है
BHU के DAV कॉलेज के इकोनॉमिस्ट प्रो. अनूप कुमार मिश्र ने कहा कि यह बजट बड़े आकार का है। केंद्रीय बजट से तालकदम करती हुई विकासोन्मुख और रोजगार सृजन वाला बजट है। इसमें कृषि, किसान, ग्रामीण विकास के साथ औद्योगिक विकास और सेवा क्षेत्रों में संतुलन साधा गया है। पूर्वांचल और बुंदेलखंड जैसे पिछड़े इलाकों को विकसित करने प्रतिबद्धता दिखाई पड़ रही है। इस बजट में राजकोषीय घाटे को भी अनुशासित करने की बात है। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे, मेट्रो रेल सेवा, रोप वे, महाकुंभ पर मद, कुटीर और लघु उद्योग पर लगभग 20 हजार करोड़ के मद का आवंटन किया गया है। पूर्वांचल के युवाओं को रोजगार मिलने की संभावना बढ़ गई है।