माफिया अतीक अहमद का बेटा अली अहमद प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल से झांसी जेल में शिफ्ट कर दिया गया है। यहां उसने मीडिया से कहा, मैं तो दिल्ली में लॉ कर रहा था। फर्जी मुकदमे लगाकर मुझे जेल भेज दिया गया। जेल में रहते हुए मेरे ऊपर 8 मुकदमे लगा दिए गए।
अली ने अपनी जान को खतरा बताया। कहा, ये मेरा अल्लाह जानता है कि यहां सुरक्षित रहेंगे कि नहीं? मुख्यमंत्रीजी से यही कहना है कि जो होना था, वो हो गया। लेकिन सरकार के नाम पर कुछ लोग मुझे अन्यथा परेशान कर रहे हैं, उनसे हमें बचा लीजिए। मुझे बेवजह सताया जा रहा है। मुझे रास्ते में पानी पीने तक नहीं दिया गया।
प्रयागराज में 24 फरवरी, 2023 को उमेश पाल की हत्या के बाद सीएम योगी ने विधानसभा में कहा था कि माफिया को मिट्टी में मिला देंगे। 15 अप्रैल, 2023 को प्रयागराज के अस्पताल में मेडिकल के लिए ले जाते वक्त अली के पिता अतीक अहमद और चाचा अशरफ की हत्या कर दी गई थी। अली की मां शाइस्ता परवीन फरार है। भाई का भी एनकाउंटर हो चुका है।
38 महीने से नैनी जेल में था अली अली नैनी जेल में 38 महीने से बंद था। उसने 30 जुलाई, 2022 को प्रयागराज कोर्ट में सरेंडर किया था। गिरफ्तारी के बाद पहली बार अली मीडिया से बात कर पाया है। पुलिसवालों ने भी इतनी ढिलाई बरती कि वह अपनी बात मीडिया के सामने रख सके। अली ने सिर पर कैप लगा रखी थी। चेहरे पर अपने पिता की तरह मूछें बढ़ा ली है।
झांसी जेल काफी संवेदनशील मानी जाती है। यहां माफिया मुख्तार अंसारी लंबे समय तक बंद रहा है, बाद में उसकी बांदा जेल में हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। मुख्तार का कभी राइट हैंड रहा मुन्ना बजरंगी भी इस जेल में बंद रहा था। झांसी जेल से बागपत उसे शिफ्ट किया गया था, वहां उसकी हत्या कर दी गई थी।
मुख्तार अंसारी और मुन्ना बजरंगी झांसी जेल में काफी समय तक बंद रहे थे।
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अली ने कहा, मैं नैनी सेंट्रल जेल में पूरे नियम कायदे के साथ रह रहा था। लेकिन परेशान करने के मकसद से मुझे प्रयागराज से दूर झांसी भेजा गया। रास्ते में बहुत दिक्कत हुई है। गाड़ी के इतने छोटे से चैंबर में 5 से 6 लोगों को बैठाकर ले आया गया। मुझे होम डिस्ट्रिक से यहां भेजने का क्या मतलब है?
रास्ते में मुझे पीने के लिए पानी तक नहीं दिया गया। नैनी सेंट्रल जेल में अधिवक्ताओं के सिवाय मुझसे कोई भी मिलने नहीं आता था।
नैनी जेल में कैश मिलने के सवाल पर अली ने कहा- वो कूपन के लिए पैसा आया था। वो तो जेल में अलाउड है। अब उसे किसी दूसरे तरीके से दिखाया जा रहा है। अधिवक्ताओं के रूप में जो लोग मुझसे मिलने आते थे उनका वकालतनामा लगा होता था। जेल मैन्युअल के अनुसार मेरी मुलाकात होती थी।