माफिया अतीक अहमद का बेटा अली अहमद नैनी सेंट्रल जेल से झांसी जेल भेजा गया है। पुलिस बुधवार सुबह 6.10 बजे उसे नैनी से लेकर झांसी जेल के लिए निकली। करीब 420 किमी की दूरी 7 घंटे में पूरी कर उसे शिफ्ट किया जाएगा।
4 ORT और एक सेक्शन PAC के करीब 20 जवान अली को प्रिजन वैन में लेकर निकले हैं। जेल अधीक्षक विजय विक्रम सिंह ने बताया- शासन के आदेश पर जेल बदली गई है।
अली अहमद 38 महीने से नैनी सेंट्रल जेल में बंद था। अली ने 30 जुलाई 2022 को कोर्ट में सरेंडर किया था। उस पर प्रॉपर्टी डीलर जीशान उर्फ जानू से 5 करोड़ रुपए की रंगदारी मांगने का आरोप है। गिरफ्तारी के बाद उसे उसे नैनी सेंट्रल जेल भेजा गया था।
बता दें कि चार महीने पहले अली के पास बैरक में कैश मिला था, तब उसे नैनी सेंट्रल जेल की ‘फांसी घर’ वाली हाई सिक्योरिटी सेल में भेज दिया गया। फांसी घर की हाई सिक्योरिटी सेल अन्य बैरकों से काफी दूर है। बैरक के अंदर और बाहर के पूरे रास्ते तक CCTV लगे हैं। बैरक के बाहर 4 सुरक्षाकर्मी और नंबरदारों की ड्यूटी लगी है।
जेल बदलने की 2 बड़ी वजह जानिए-
2024 में पेशी के दौरान अली को कोर्ट लाया गया था, ये उस वक्त की तस्वीर है।
1.) अली की बैरक से कैश बरामद हुए 17 जून 2025 को अली की बैरक से कैश बरामद हुए थे। हालांकि, कितने रुपए थे, ये स्पष्ट नहीं हो सका था। इसके बाद जेल प्रशासन में खलबली मच गई और तत्काल प्रभाव से डिप्टी जेलर कांति देवी और एक हेड वार्डर को निलंबित करना पड़ा। घटना के बाद अली को हाई सिक्योरिटी बैरक में शिफ्ट कर दिया गया और लखनऊ स्थित इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से उसकी निगरानी शुरू हो गई।
2.) CCTV में कैश देते पकड़ा गया कुछ दिन पहले चेकिंग के दौरान अली अहमद एक वार्डर को कैश देते हुए CCTV कैमरे में कैद हो गया। यह मामला भी उसे शिफ्ट करने का बड़ा कारण बना।
कोर्ट में पेशी के दौरान हाई सिक्योरिटी में अली। (फाइल फोटो)
कैश मिला तो अली को ‘फांसी घर’ भेजा गया अली की बैरक में कैश मिलने के बाद उसी दिन उसे नैनी सेंट्रल जेल की ‘फांसी घर’ वाली हाई सिक्योरिटी सेल में भेज दिया गया। फांसी घर की हाई सिक्योरिटी सेल अन्य बैरकों से काफी दूर है। बैरक के अंदर और बाहर के पूरे रास्ते तक CCTV लगे हैं। बैरक के बाहर 4 सुरक्षाकर्मी और नंबरदारों की ड्यूटी लगी है।
नैनी सेंट्रल जेल के अंदर बना ‘फांसी घर’ अब खंडहर में तब्दील हो चुका है। साल-1970 से यह वीरान पड़ा है। कभी यहां पर फांसी देने वाले बंदियों को एक दिन पहले लाकर बंद किया जाता था। इस ‘फांसी घर’ में कुल 14 लोगों को फांसी दी गई है।
फांसी की सजा पर रोक के बाद अब यह हिस्सा कम ही इस्तेमाल होता है। लेकिन, इस हाई सिक्योरिटी बैरक में अहम कैदियों को रखा जाता है। कई बार ऐसे कैदी, जो साथियों पर हंगामा करते हैं, उन्हें यहां बंद किया जाता है।
यह प्रयागराज के नैनी सेंट्रल जेल के बाहर की तस्वीर है।
नैनी जेल में नहीं दिखा अली, लखनऊ से DG ने पूछा- कहां है 23 जून 2025 की सुबह करीब 7.30 बजे लखनऊ कंट्रोल रूम से DG जेल पीसी मीणा का फोन नैनी सेंट्रल जेल आया। DG ने जेल स्टाफ से पूछा- अली कहां है? अपनी सेल में नहीं दिख रहा। इतना सुनते ही जेल में हड़कंप मच गया। महिला सिपाही ने जेल वार्डर को बताया तो वार्डर और जेलकर्मी भागते हुए सेल के पास पहुंचे। जेल स्टाफ ने दरवाजे से झांक कर देखा तो अली सेल में नहीं दिखा। जेलकर्मी ने आवाज लगाई… अली… अली। दो मिनट के बाद अली सेल में बने खंभे के पीछे से निकला। अली को देख वार्डर और सिपाही ने राहत की सांस ली। कंट्रोल रूम को अली के बैरक में होने की जानकारी दी।
जेल में गिड़गिड़ा रहा अली, कहता- तन्हाई बैरक में दम घुट रहा अली अहमद जेल अधिकारियों के सामने सिर्फ एक पैकेट सिगरेट के लिए गिड़गिड़ा रहा है। कैंटीन से स्पेशल नाश्ता पहले ही बंद हो चुका है, ऐसे में पतली दाल और रोटियां ही अली खा पा रहा है। जेल प्रशासन ने अली के अस्पताल जाने पर भी रोक लगा दी है, डॉक्टर तन्हाई बैरक में ही आकर चेकअप करते हैं। सूत्रों के मुताबिक, जब भी कोई अफसर अली की बैरक में पहुंचता है, वह हर किसी से यही रट लगाता है कि मुझे हाई सिक्योरिटी सेल से हटाया जाए। अकेले में तन्हाई बैरक में मेरा दम घुटता है।
ये अली अहमद है। अली पर पहला केस दिसंबर 2021 में दर्ज हुआ था।
उमेश पाल हत्याकांड का भी आरोपी है अली अली प्रदेश की सनसनी बने उमेश पाल हत्याकांड का भी आरोपी है। पुलिस का दावा है कि इस घटना की साजिश में वह शामिल था। नैनी जेल में रहते हुए ही उसने अपने छोटे भाई असद और परिवार के अन्य लोगों से मिलकर उमेश की हत्या की साजिश रची। बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्या 24 फरवरी, 2023 को प्रयागराज में उनके घर के बाहर गोली मारकर और बम से हमला करके की गई थी। इस मामले में उसका बड़ा भाई उमर भी आरोपी है, जो लखनऊ जेल में बंद है। जबकि तीन अन्य आरोपी छोटा भाई असद, पिता अतीक और चाचा अशरफ मारे जा चुके हैं।
हाल में नैनी जेल से 127 कैदियों के ट्रांसफर हुए हाल ही में नैनी जेल से 127 विचाराधीन कैदियों को जिला जेल शिफ्ट किया गया था। इनमें अतीक अहमद गैंग के कई गुर्गे भी शामिल थे। जेल सूत्रों के मुताबिक, इन्हीं कैदियों के कारण अली को हर तरह की सहूलियत मिलती थी। इनके हटने के बाद उसकी मुश्किलें और बढ़ गई थीं।
अप्रैल 2025 में राजू पाल हत्याकांड के सजायाफ्ता आबिद पुत्र बच्चा मुंशी उर्फ अनवारुल हक को बागपत जेल, जावेद उर्फ जाबिर पुत्र बचऊ को अलीगढ़ जेल और गुलहसन पुत्र मुख्तार को आगरा जेल भेजा गया था। वहीं, 3 मई 2025 को अतीक का करीबी गुर्गा असद कालिया नैनी जेल से कासगंज जेल ट्रांसफर किया गया था। उस पर हत्या की कोशिश, रंगदारी, अवैध खनन और सरकारी कामकाज में बाधा डालने समेत आठ मुकदमे दर्ज हैं।