उत्तर प्रदेश पुलिस अब हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल कर रही है। बरेली पुलिस ने दिशा पाटनी के घर फायरिंग मामले में इसी तकनीक से बड़ी कामयाबी पाई। पुलिस ने आरोपियों तक पहुंचने के लिए ‘सी ट्रैस ऐप’ का सहारा लिया। इस ऐप से आरोपियों के मोबाइल नंबरों की गहराई से जांच की गई।
नंबरों से जुड़े वॉलेट, सोशल मीडिया, लोकेशन और ट्रांजैक्शन डेटा से पुलिस ने पूरा नेटवर्क पकड़ लिया। एक-एक कर शूटर और उनके मददगारों की पहचान हो गई। पुलिस ने इस ऐप को 80 हजार रुपए में खरीदा था। जिससे एक-एक कर सभी आरोपियों तक पहुंच बनाई गई। इस ऑपरेशन में कई बदमाश गिरफ्तार हुए और एक मुठभेड़ में घायल भी हुआ। ऐप से मिली जानकारियों पर अब भी जांच जारी है।
यह तस्वीर विजय तोमर और नकुल सिंह की है। जिसे दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को दबोचा था।
रविंद्र और अरुण को नोएडा STF, CI यूनिट दिल्ली, हरियाणा पुलिस की टीम ने 17 सितंबर को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था।
सबसे पहले जानिए कहां से मिला घटना का छोर
सीसीटीवी से होटल और विजय का नंबर मिला
11 और 12 सितंबर को दिशा पाटनी के घर पर हुई फायरिंग हुई। घटना के बाद पुलिस ने सबसे पहले सीसीटीवी फुटेज खंगालना शुरू किया। स्मार्ट सिटी योजना के तहत शहर में लगे 1320 कैमरों के साथ-साथ देहात क्षेत्रों में लगे लगभग 2500 कैमरों की भी जांच की गई।
सीसीटीवी फुटेज की मदद से पुलिस स्टेशन रोड स्थित हिंद पैलेस होटल तक पहुंची, जहां विजय, नकुल और अरुण ठहरे हुए थे। होटल से पुलिस को विजय का मोबाइल नंबर मिला। हालांकि वह नंबर बंद था।
सी ट्रैस ऐप ने ऐसे किया काम एसएसपी अनुराग आर्य ने बताया, जब हमें आरोपी विजय का मोबाइल नंबर मिला, तो हमने उसकी गहराई से जांच की। ऐप में नंबर डालते ही उससे जुड़ी विस्तृत जानकारी सामने आ गई। किस नाम से नंबर रजिस्टर है, किस कंपनी में पोर्ट हुआ, किन वॉलेट्स और वेबसाइट्स पर इस्तेमाल हुआ, और उससे जुड़े सोशल मीडिया प्रोफाइल्स कौन-कौन से हैं। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सी ट्रैस ऐप को करीब 80,000 रुपए में खरीदा गया। शुरुआत में ऐप 500 मोबाइल नंबरों की मुफ्त जांच की सुविधा देता है, इसके बाद प्रत्येक सर्च पर अलग से शुल्क लगता है।
यह तस्वीर आरोपी अनिल की है। जो कि गैराज चलाता था और शूटरों को बाइक उपलब्ध कराता था।
अब जानिए पुलिस कैसे पहुंची आरोपियों तक
पहला कनेक्शन: विजय का नंबर, नकुल के नौ नाम पुलिस के अनुसार, विजय के नंबर की जांच में नकुल नाम से जुड़े नौ अलग-अलग प्रोफाइल्स मिले। ये आरोपी अलग-अलग नामों और फर्जी अकाउंट्स का इस्तेमाल कर छिपकर काम कर रहे थे। एक ही नंबर से इतने नामों का जुड़ाव पुलिस के लिए बड़ा संकेत था। इसके बाद पुलिस ने नकुल से जुड़े संभावित संपर्कों की पहचान कर उनके नंबरों की जांच शुरू की।
डेटा ने खोली नेटवर्क की परतें सी ट्रैस ऐप की रिपोर्ट से पता चला कि एक ही नंबर से कई बार डिजिटल पेमेंट, वॉलेट ट्रांजैक्शन, और ऑनलाइन शॉपिंग की गई थी। इन लेन-देन के समय, स्थान और डिलीवरी पतों ने पुलिस को आरोपियों के ठिकानों की ओर इशारा किया। पुलिस ने इन डिजिटल सुरागों को जमीनी जांच से मिलाकर पुष्टि की, और हर बार जानकारी सटीक साबित हुई।
बरेली पुलिस ने शुक्रवार को एनकाउंटर में रामनिवास को गिरफ्तार कर लिया
हर कड़ी ऐसे जुड़ी और पहुंची गिरफ्तारी तक जब नकुल और विजय के अकाउंट आपस में लिंक पाए गए, तो पुलिस ने उनके दोस्तों और मददगारों के नंबरों की एक सूची तैयार की। ऐप के जरिए इन नंबरों की जांच में और भी कई नाम सामने आए, जो किसी समय शूटरों को लॉजिस्टिक्स, सिम कार्ड, वॉलेट, या वाहन उपलब्ध कराते थे। बरेली पुलिस ने इस पूरे नेटवर्क को एक-एक कर तोड़ने की रणनीति बनाई।
छापेमारी के दौरान मुठभेड़, एक घायल पुलिस के अनुसार, एक बड़े ऑपरेशन के दौरान जब टीम बदमाशों के ठिकानों पर पहुंची, तो वहां विरोध में फायरिंग हुई। मुठभेड़ में एक बदमाश गंभीर रूप से घायल हो गया। पुलिस का कहना है कि यह आरोपी नेपाल भागने की तैयारी में था। घायल को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। एसएसपी अनुराग आर्य ने बताया कि उस समय पुलिस टीमें चारों ओर से घेराबंदी किए हुए थीं।
CCTV में फायरिंग करने वाले बदमाश कैद हुए थे।
एसएसपी अनुराग आर्य का बयान एसएसपी अनुराग आर्य ने बताया कि दिशा पाटनी के घर फायरिंग के मामले में बदमाशों तक पहुंचने के लिए हमने तकनीक का भरपूर उपयोग किया। सी ट्रैस ऐप ने हमें नेटवर्क की तह तक पहुंचाया। इसके जरिए हमें सिर्फ शूटरों की नहीं, बल्कि उनके सहयोगियों और मददगारों की भी पूरी जानकारी मिली। यह हमारी जांच का बड़ा टर्निंग पॉइंट था। उन्होंने आगे कहा, अब पुलिस पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ हाईटेक टूल्स का इस्तेमाल भी कर रही है। हमारा उद्देश्य है कि किसी भी आपराधिक गिरोह को जड़ से खत्म किया जाए और अपराधियों को यह संदेश मिले कि चाहे वे कितनी भी सावधानी बरतें, कानून के शिकंजे से नहीं बच सकते।
आगे की कार्रवाई और जांच की दिशा एसएसपी अनुराग आर्य ने बताया कि अब ‘सी ट्रैस’ ऐप से मिले सभी नंबरों की डिजिटल गतिविधियों की बारीकी से जांच की जा रही है। कौन-सा नंबर किस दिन किस जगह से इस्तेमाल हुआ, किस पते पर डिलीवरी हुई और कौन-सी लोकेशन से लॉगिन हुआ। ये सारी जानकारियां खंगाली जा रही हैं। इसके अलावा, जिन सोशल प्रोफाइल्स से फायरिंग की योजना बनाई गई, उन पर भी डीटीपी (डिजिटल ट्रैकिंग प्रोटोकॉल) के तहत विस्तार से जांच की जा रही है।