उत्तर प्रदेश में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे किया जा रहा है। इसके लिए प्रदेश के सभी जिलों में अलग-अलग टीमें लगाई गई हैं। सर्वे में मदरसा संचालकों से 11 बिंदुओं पर जानकारी ली जा रही हैं जिसमें से सबसे अहम है कि मदरसों की आय का स्रोत क्या है? सर्वे रिपोर्ट 25 अक्तूबर तक शासन को सौंप दी जाएगी।
पूरे प्रदेश में कुल 16500 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं। इनमें 558 अनुदानित मदरसे हैं तथा 7,442 आधुनिक मदरसे हैं। इन सभी मदरसों में कुल 19 लाख से ज्यादा बच्चे हैं। राजिस्ट्रार मदरसा जगमोहन सिंह के मुताबिक सभी बच्चों को आधुनिक शिक्षा से जोडऩे की कवायद चल रही है। नए नए विषयों को भी इसलिए ही मदरसों में लागू किया जा रहा है। गौरतलब है कि जहां अनुदानित मदरसों की जांच चल रही है तो सरकार ने पूरे प्रदेश में ऐसे मदरसों का भी सर्वे करने को कहा है जो गैर मान्यता प्राप्त है। 15 अक्तूबर तक सर्वे पूरा करने को कहा गया है। सर्वे में देखा जाएगा कि मदरसे का संचालन करने वाली संस्था का नाम व उसकी आय का मुख्य स्रोत क्या है?
गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे शुरू हो चुका है लेकिन कई जिलों में अभी तक इसके लिए टीमों का गठन नहीं हो पाया है। उधर शासन ने कहा है कि हर सूरत में यह सर्वे समय से पूरा किया जाए।प्रदेश भर में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे शुरू किया गया है। इनमें जहां इन मदरसों को होने वाली फंडिंग पर फोकस रहेगा तो इसके अतिरिक्त अन्य 10 बिंदुओंं पर सर्वे होगा। इसके लिए सभी जिलों में 10 सितंबर तक टीम बनाकर सर्वे शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। काफी जिलों में सर्वे शुरू हो चुका है पर अब भी कई जिले ऐसे हैं जहां सोमवार तक भी टीमों का गठन नहीं हो पाया। ऐसे में शासन स्तर से कहा गया है कि समय से यह सर्वे पूरा करें। 15 अक्तूबर तक यह सर्वे टीमों को पूरा करना है जबकि 25 अक्तूबर तक जिलाधिकारियों को इसकी रिपोर्ट शासन को भेजनी है। कई जगह टीमों को इस सर्वे के दौरान परेशानी की भी सूचना आ रही है।
गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के चल रहे सर्वे में गैर मान्यता प्राप्त मदरसा संचालकों को भी एक मौका दिया जा रहा है। ऐसे मदरसों के संचालक संबंधित प्रारूप में खुद ही सारी जानकारी का विवरण उपलब्ध कर सकेंगे। इसे वह अपने स्तर से ही जमा करेंगे जिसका भौतिक सत्यापन सर्वे कर रही टीमें बाद में कर सकेंगी। प्रदेश में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे किया जा रहा है। इनमें 11 बिंदुओं केप्रारूप में सूचनाओं का संकलन किया जा रह है।
मदरसों को होने वाली फंडिंग पर इस सर्वे में फोकस रहेगा। सभी जिलों में 10 सितंबर तक टीम बनाकर सर्वे शुरू करने के निर्देश दिए गए थे। 15 अक्तूबर तक यह सर्वे टीमों को पूरा करना है जबकि 25 अक्तूबर तक जिलाधिकारियों को इसकी रिपोर्ट शासन को भेजनी है। इसे लेकर अब निर्देशों में अहम बदलाव किया गया है। अब मदरसा गैर मान्यता प्राप्त मदरसा संचालक संबंधित प्रारूप में खुद ही सारी सूचनाएं भरकर दे सकेंगे। वे इस सूचना को संबंधित जिले में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के यहां जमा करेंगे। बाद में टीम इसका भौतिक सत्यापन करेगी। दरअसल कई जगह इस सर्वे का विरोध भी हो रहा था और विभिन्न मुस्लिम संगठन इसकी मुखालफत कर रहे हैं। यही कारण है कि मदरसा संचालकों को भी मौका दिया जा रहा है। इस प्रारूप में 12 बिंदु है पर सर्वे के 11 ही बिंदु हैं। 12 वां बिंदु अधिकारियों की अभ्युक्ति का है।
इस मामले में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा कि यह एक मौका है जिसमें मदरसा संचालक पूरी सूचनाएं दें। यदि वे शर्तें पूरी करेंगे तो उनके लिए मान्यता देना आसान होगा। जिला अल्पसख्ंयक कल्याण अधिकारी लखनऊ सोनकुमार ने कहा कि उन्हें इस बाबत निर्देश मिल गए हैं। मदरसा संचालक खुद सूचना दें जिसका बाद में हमारे स्तर से भौतिक सत्यापन किया जाएगा।
उप्र बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डा. सुचिता चतुर्वेदी कहती हैं कि मदरसों में बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है। गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का तो हाल ही बुरा है पर अनुदानित मदरसों की भी स्थिति सही नहीं है। उन्होंने कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज आदि में मदरसों का निरीक्षण किया तो पाया कि सरकारी मदरसों में अध्यापकों का शैक्षिक स्तर निम्न है। दसवीं पास शिक्षक दसवीं को और इंटर पास इंटरमीडिएट को पढ़ा रहा है। आधुनिकीरण मदरसों में तनख्वाह विषय विशेषज्ञ जैसे गणित, विज्ञान आदि की लेते हैं पर पढ़ाते केवल दीनी तालीम हैं। गणित पढ़ाने वाले अध्यापक मुझे सात का पहाड़ा तक नहीं सुना पाए।