देश भर से भक्त काशी आए हैं। वाराणसी के दुर्गा घाट स्थित माता भगवती ब्रह्मचारिणी देवी के प्राचीन मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ है। पूरा मंदिर मां शेरावाली के जयकारों से गूंज रहा है। भक्त अपनी मनोकामना लेकर मां के दरबार आए हैं। लंबी कतारों में लगकर माता ब्रह्मचारिणी के दर्शन का इंतजार कर रहे हैं। राजस्थान से आईं एक माता भक्त बताती हैं कि वह हर साल नवरात्र के दूसरे दिन राजस्थान से यहां पर आती हैं। कोई मन्नत या मिन्नत लेकर नहीं, केवल दर्शन करने आती हूं।
वाराणसी के दुर्गाबाड़ी स्थित माता ब्रह्मचारिणी के मंदिर में पूजा करते श्रद्धालुजन।
आज शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन है। आज के दिन मां बह्मचारिणी देवी के दर्शन-पूजन का विधान है। मां ब्रह्मचारिणी के दर्शन और पूजन से संतान की प्राप्ति का योग बनता है। इसके साथ ही मां धन-धान्य से परिपूर्ण करती हैं।
महंत बोले- पढ़ाई में कमजोर बच्चों को होगा लाभ
ब्रह्मचारिणी मंदिर के महंत पंडित राजेश्वर सागरकर ने कहा कि अश्विन नवरात्रि के दूसरे दिन पर माता ब्रह्मचारिणी के दर्शन का विधान है। भगवती ब्रह्मचारिणी दुर्गा शक्ति के उपासना से आज विशेष लाभ होगा। जो भी बच्चा पढ़ने में कमजोर है, वो भगवती ब्रह्मचारिणी की नित्य आराधना करे, समस्या दूर होगी। मंत्र का जप करे, भगवती कल्याण करेंगी। नंबर अच्छे आएंगे। सर्विस अच्छी लग जाएगी। भगवती की कृपा से इंसान स्वस्थ, सुंदर और खुश भी रहता है।
मंदिर के मंहत राजेश्वर ने कहा- मां के मंत्र जप से कई चीजे अच्छी हो जाएंगी।
इस मंत्र का जप करें…
मंहत ने कहा इस मंत्र का जप करें, मनोकामना पूरी होंगी। विद्यावंतम् यशस्वंतम् लक्ष्मीवंतम् जनं कुरु। रूपं देहि, जयं देहि, यशो देहि, द्विषो जहि। अर्थात…. हे माता तुम अपने भक्तों को विद्वान, यशस्वी और धनवान बनाओ। उन्हें बेहतर रूप मिले, उनकी विजय हो और उनके काम, क्रोध आदि दुश्मनों का नाश हो।
मां के दरबार में भक्तों का सैलाब। एक कतार में भक्त दर्शन कर रहे हैं।
भक्तों ने कहा घर का कष्ट मिटाओ माते
लहरतारा से आईं एक भक्त ने कहा कि घर में सभी सुख-समृद्धि से रहे। सारे कष्ट मिटे, इसलिए माता के ब्रह्मचारिणी के दर पर आए हैं। हमारे घर-परिवार पर माता अपना आशीर्वाद बनाए रखे। लल्लापुरा से आए अचल श्रीवास्तव ने कहा कि ब्रह्मचारिणी देवी हर मनोकामना पूरा करती हैं। कोविड के दो साल बंदी के बाद माता अब दर्शन दे रहीं हैं। अब माता अपनी कृपा बनाए रखे, मन में यही इच्छा लेकर मंदिर आया हूं।