सावधान ! बंद कमरे में अंगीठी व हीटर का प्रयोग खतरनाक:कोरोना से ठीक हो चुके हैं और सांस से जुड़ी समस्या है तो धुआं से करें परहेज

KHABREN24 on December 18, 2022

कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित होकर ठीक हो चुके वो लोग जो अभी फेफड़े व सांस की बीमारी से गुजर रहे हैं, उन्हें बचाव की जरूरत है। इसी तरह जिन्हें ब्लडप्रेशर व एनीमिया है उनके लिए बंद कमरे में अलाव का प्रयोग ज्यादा खतरनाक है। साथ ही बुजुर्गों, बच्चों व गर्भवती के साथ टीबी मरीजों की व निमोनिया, सायनस के मरीजों कि प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है।

इन लोगों के लिए भी बंद कमरे में अलाव का प्रयोग खतरे की घंटी है। गर्भ में पल रहा शिशु व मां दोनों के लिए बंद कमरे में अलाव का प्रयोग खतरनाक है। बच्चे वयस्कों की तुलना में अधिक जल्दी सांस लेते हैं। वृद्ध लोगों में भी इस गैस का जोखिम ज्यादा है। इसलिए बिना वेंटीलेशन के कमरे में यह लोग अलाव का प्रयोग न करें।

फेफड़े के लिए स्लो प्वाइजन है यह आक्सीजन

जिला क्षय रोग अधिकारी व सीरो सर्विलांस के नोडल अधिकारी डॉ. अरुण कुमार तिवारी ने बताया कि अलाव में कोयला, लकड़ी और केरोसिन के जलने से कॉर्बन मोनोऑक्साइड व अन्य कई जहरीली गैस निकलती है। यह गैस इंसानी फेफड़े के लिए स्लो-प्वाइजन की तरह है। जानकारी व जागरूकता के अभाव में यह साइलेंट किलर हाइपोक्सिया मौत के मुंह में ढकेल रहा है।

उन्होंने बताया कि कार्बन-मोनोऑक्साइड गैस केरोसिन, कोयला व लकड़ी के जलने पर ज्यादा मात्रा में निकलती है। जो आक्सीजन को बंद कमरे से रिप्लेस कर देती है। इससे कमरे में कार्बन-मोनोऑक्साइड गैस की मात्रा बढ़ जाती है। यह गैस फिर सांस के जरिए व्यक्ति के फेफड़े में पहुंचता है।

कमरे में अलाव जलाते समय रखें सावधानियां :

• मुंह ढक कर न सोएं

• जहां वेटिंलेशन नहीं है, वहां ख़तरा ज्यादा

• कमरे में एक बाल्टी पानी खुला जरूर रखें

• कमरा गर्म होने के बाद अंगीठी बुझाकर सोएं

• सांस के मरीज कमरे में अलाव न जलाएं

• नवजात के कमरे में अलाव बिलकुल न जलाएं

• कोरोना से जंग जीत चुके व्यक्ति रहें सावधान

• अलाव का प्रयोग करते समय खिड़की खोलकर रखें

Shree Shyam Fancy
Balaji Surgical
S. R. HOSPITAL
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