पॉजिटिव स्टोरी :: दुबई की नौकरी छोड़ भारत लौटा:30 लाख लीटर वेस्ट कुकिंग ऑयल को बायोडीजल में बदला, सालाना 10 करोड़ का बिजनेस

KHABREN24 on December 18, 2022

आपने कभी सोचा है कि सड़क किनारे रेहड़ी, होटलों में बनने वाले समोसे, पकौड़े जैसी दर्जनों खाने-पीने की चीजों के बाद उन बचे हुए तेल का क्या होता है?

शायद नहीं!

तो इसी का जवाब तलाशने के लिए मैं गुरुग्राम के पालम विहार पहुंचा।

सुशील वैष्णव और उनकी टीम वेयरहाउस में बड़े-बड़े डिब्बे में जले हुए खाने के तेल यानी कुकिंग ऑयल को भर रहे हैं। वेयरहाउस का फर्श एकदम चिपचिपा, यदि संभलकर ना चले तो फिसलने का सबसे बड़ा खतरा।

ये सुशील का वेयरहाउस है, जहां इन डिब्बों में वेस्ट कुकिंग ऑयल भरा हुआ है।

ये सुशील का वेयरहाउस है, जहां इन डिब्बों में वेस्ट कुकिंग ऑयल भरा हुआ है।

सभी लोग सेफ्टी सूज पहनकर वेस्ट ऑयल को एक टैंक से दूसरे टैंक में भर रहे हैं। मैं सुशील के वेयरहाउस की तरफ जैसे ही बढ़ता हूं, वो आवाज लगाते हैं- संभलकर आइएगा, फिसल जाएंगे।

मैं संभलते हुए वेयरहाउस के अंदर घुस जाता हूं। सुशील वैष्णव ऑयल की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं, यही ऑयल है जिसमें हमलोग समोसा, पकौड़ा जैसी तली भुनी चीजें चटकारे लेकर खाते हैं, खिलाई जाती है।

इसी ऑयल को दुकानों में बार-बार इस्तेमाल किया जाता है, दुकानदार इसमें फ्रेश ऑयल मिला-मिलाकर जले हुए ऑयल का इस्तेमाल करते रहते हैं। जिससे कैंसर, हार्ट अटैक जैसी दर्जनों जानलेवा बीमारियों का हम शिकार हैं।

सुशील के वेयरहाउस के एक हिस्से में छोटा सा ऑफिस भी बना हुआ है, जिसमें एक डिब्बा दिखाई देता है। इसमें पेट्रोल-डीजल जैसा कुछ मालूम पड़ता है। उसके ऊपर एक लेबल चिपका हुआ है, जिस पर बायोडीजल लिखा है।

ये सुशील वैष्णव हैं, जिनके हाथ में बायोडीजल की बोतल है। यह फ्यूल वेस्ट कुकिंग ऑयल से बनाया जाता है।

सुशील कहते हैं, ये बायोडीजल इसी वेस्ट कुकिंग ऑयल से बना हुआ है। पेट्रोल-डीजल में एक तय मात्रा में मिलाकर ग्रीन फ्यूल तैयार होता है, जो एनवायरनमेंट और सेहत- दोनों के लिए फायदेमंद है। अब तक हम 30 लाख लीटर कुकिंग ऑयल को प्रोसेस कर बायोडीजल में कनवर्ट कर चुके हैं।

सुशील वैष्णव के साथ मैं भी आगे की कहानी जानने के लिए ऑफिस में ही बैठ जाता हूं।

सुशील कहते हैं, राजस्थान से आता हूं, पापा प्राइमरी स्कूल में टीचर रहे हैं। मीडिल क्लास फैमिली में पैदा हुआ। पैसे इतने थे नहीं की किसी बड़े स्कूल में पढ़ाई करता। इसलिए सरकारी कॉलेज से ही 12वीं किया और फिर राजस्थान के एक सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज से B. Tech।

अच्छा रैंक नहीं होने की वजह से ढंग का कोई कोर्स नहीं मिला, तो फूड टेक्नोलॉजी में ही पढ़ाई करनी पड़ी। लेकिन पासआउट होने के बाद इंडिया की कई बड़ी कंपनियों के साथ काम किया। ये 2004 की बात है। इसके बाद जब मार्केट में इंटरेस्ट हुआ, तो MBA कर लिया।

इसी बीच मेरी कीर्ति के साथ शादी हो गई। हम दोनों को दुबई जाने का मौका मिला। वहां पर मैंने अच्छे-खासे पैकेज पर लंबे समय तक जॉब किया, लेकिन कॉलेज के टाइम से ही अपना कुछ करने का मन था।

कीर्ति वैष्णव सुशील की लाइफ पार्टनर के साथ-साथ बिजनेस पार्टनर भी हैं।

कीर्ति वैष्णव सुशील की लाइफ पार्टनर के साथ-साथ बिजनेस पार्टनर भी हैं।

दोनों की बायोडीजल बनाने वाली कंपनियों को वेस्ट कुकिंग ऑयल की सप्लाई करने वाली कंपनी ‘ECOIL’ में हिस्सेदारी है। सुशील बताते हैं, पत्नी ने भी B.Tech किया है। उनका होटल इंडस्ट्री का काम रहा है। बड़ी-बड़ी कंपनियों में सप्लाई चेन का काम संभाल चुकी हैं।

दुबई में मैंने दो स्टार्टअप शुरू किये थे, लेकिन वो सक्सेस नहीं हो पाया। इसके बाद मुझे लगा कि इंडिया वापस आकर कुछ करना चाहिए। पत्नी के साथ 30 लाख रुपए की सेविंग के साथ स्वदेश लौट गया। यहां जब आया तो मेरे एक खास दोस्त और पड़ोसी ने अपनी जरूरत बताते हुए पूरे पैसे उधार मांग लिए, जो आज तक उनलोगों ने नहीं लौटाया।

एक रोज की बात है। किसी काम से हम लोग शहर के एक रेहड़ी वाले के यहां समोसा खा रहे थे, लेकिन उस समोसे में वो टेस्ट नहीं था, जो घर या अच्छे होटल का होता है। इसी बीच हमारी नजर कढ़ाही पर गई, जिसमें खौलता हुआ ऑयल एकदम काला हो चुका था।

सुशील बताते हैं, ये बात मेरे दिमाग में बैठ गई। कई दिनों तक सोचता रहा कि ऐसा क्यों होता है। फिर जब इंटरनेट-गूगल को खंगालना शुरू किया, तो पता चला कि ये लोग कुकिंग ऑयल का इस्तेमाल पूरी तरह से जलकर मवाद यानी गाढ़ा हो जाने तक करते रहते हैं।

तो फिर इससे क्या किया जा सकता है? इसकी और अधिक खोजबीन की तब पता चला कि बायोडीजल बनाया जा सकता है, जो ग्रीन फ्यूल है।

सुशील कहते हैं, जब मैंने होटल वालों से कुकिंग ऑयल के लगातार रियूज करने को लेकर पूछा तो बहुतों को पता ही नहीं था कि इसका क्या किया जा सकता है। कुछ लोगों ने तो बताने से भी इनकार किया, डर था कि उनका धंधा चौपट हो जाएगा।

उनमें से कुछ ने जो कहा वो चौकाने वाला था। उनका कहना था कि इसका इस्तेमाल न करें तो क्या फेंक दें। कुछ ने कहा कि इसे कबाड़ी वाले को दे देते हैं।

कबाड़ी वाले को? ये क्या करते होंगे?

ये सवाल सहसा मेरे मुंह से निकल पड़ता है।

सुशील कहते हैं, दरअसल बड़े-बड़े होटल्स अपनी क्वालिटी को मेंटेन करने के लिए ऑयल को तय पैरामीटर यानी दो-से-तीन बार ही रियूज करते हैं फिर वो इसे कबाड़ी वाले को बेच देते हैं।

अब कबाड़ी वाले छोटे-छोटे रेहड़ी, ठेला लगाने वालों के हाथों सस्ते रेट पर इसे बेच देते हैं। अधिकांश रेहड़ी या सड़क किनारे ठेला-स्टॉल लगाने वाले इसी ऑयल में कुछ मात्रा में फ्रेश ऑयल मिलाकर इस्तेमाल करते हैं, जो जहर से कम नहीं होता है।

सुशील बताते हैं, 2018 में हमने बायोडीजल बनाने वाली कंपनियों को वेस्ट कुकिंग ऑयल कलेक्ट कर सप्लाई करने की कंपनी ‘ECOIL’ लॉन्च की। हमारा काम वेस्ट कुकिंग ऑयल कलेक्ट कर बायोडीजल बनाने वाली कंपनियों को सप्लाई करना है।

सुशील मुझे शुरुआती दिनों की ओर लेकर चलते हैं। कहते हैं, हमारे पास जो पैसे थे, वो तो जानने वालों ने ठग लिया। उतने पैसे नहीं थे कि बड़ा वेयरहाउस सेट कर पाऊं।

सुशील कहते हैं, शुरुआत में हम कीर्ति के साथ स्कूटर पर बैठकर दोनों हाथ में 15-15 लीटर का गैलन लेकर होटल-रेस्टोरेंट्स में जाते थे।

उन्हें कहना पड़ता था कि जो वेस्ट ऑयल वो फेंक देते हैं या रियूज करते हैं, उसे वो हमसे बेच सकते हैं। रियूज कुकिंग ऑयल से कस्टमर का हेल्थ खराब होता है। वो खाने के साथ-साथ जहर परोस रहे हैं, लेकिन इन दुकानदारों का कहना होता था कि क्यों दूं?

कुछ ने तो यहां तक कहा- ठीक है फ्रेश ऑयल 120 रुपए लीटर है, तो आप 110 रुपए ले लीजिए।

धीरे-धीरे हमने बड़े होटल्स को टारगेट करना शुरू किया। उन्होंने इस्तेमाल किए हुए ऑयल को बेचने के लिए राजी हो गए।

हमारे पास कोई वेयरहाउस नहीं था, जहां हम इसे स्टोर करते। हमने ऑयल को बाथरूम में स्टोर करना शुरू किया। फिर जब ऑयल जमा हो जाता फिर हम इसे बायोडीजल बनाने वाली कंपनियों को सप्लाई कर देते।

धीरे-धीरे मार्केट में पहचान बनी। लोगों के बीच भी अवेयरनेस आया, सरकार ने भी सपोर्ट किया कि रियूज्ड कुकिंग ऑयल के बार-बार इस्तेमाल करके से वो कस्टमर के सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। फ्यूचर को बर्बाद कर रहे हैं।

सुशील कहते हैं, आज हम हर दिन 5,000 लीटर इस्तेमाल किए गए कुकिंग ऑयल कलेक्ट कर रहे हैं। पत्नी के सपोर्ट ने हमें यहां तक लाया है। कुकिंग ऑयल में सरसो तेल, सोयाबिन ऑयल, कोकनट ऑयल के अलावा पाम ऑयल, मूंगफली ऑयल होता है।

इंडस्ट्री में सबसे अधिक पाम ऑयल का इस्तेमाल होता है। हम कुकिंग ऑयल इस्तेमाल करने वाले दुनिया के सबसे बड़े देश हैं।

सुशील ने ‘ECOIL’ नाम से एक ऐप भी डेवलप किया है, जिसके जरिए कोई भी आसानी से ऑयल कलेक्ट करने के लिए रिक्वेस्ट कर सकता है।

बुकिंग प्रोसेस को लेकर सुशील ऐप दिखाते हुए कहते हैं, मान लीजिए कि आपका कोई होटल या रेस्टोरेंट है, जहां हर दिन 20 लीटर वेस्ट कुकिंग ऑयल निकलता है। क्वांटिटी के मुताबिक वो हमारे ऐप पर जाकर बुकिंग कर सकते हैं। फिर हमारी टीम रूट के हिसाब से ऑयल को कलेक्ट करती है।

दिल्ली के वेयरहाउस में इसके फिल्टर किया जाता है और फिर बायोडीजल बनाने वाली कंपनियों को भेज दिया जाता है।

बायोडीजल बनाने का प्रोसेस क्या होता है?

मैं उनके ऑफिस में रखे बायोडीजल के डिब्बे की तरफ इशारा करते हुए पूछता हूं। सुशील कहते हैं, वेस्ट कुकिंग ऑयल को फिल्टर करने के बाद मिथेनॉल (CH3OH) और पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड (KOH) को 75 डिग्री सेल्सियस पर हीट किया जाता है। इसके बाद इसे ठंडा होने के लिए छोड़ दिया जाता है।

कुछ घंटे के बाद बायोडीजल ऊपर की तरफ तैरने लगता है और ग्लिसरीन नीचे की तरफ जम जाता है। बायोडीजल वेस्ट कुकिंग ऑयल के अलावा वनस्पति ऑयल और एनिमल फैट से भी बनाया जाता है।

सुशील बताते हैं, अभी हमारे दिल्ली, जयपुर समेत 6 शहरों में वेयरहाउस हैं जहां पर वेस्ट कुकिंग ऑयल का कलेक्शन किया जाता है और फिर इसे दिल्ली के वेयरहाउस में सफाई के बाद बायोडीजल बनाने वाली कंपनियों को भेज दिया जाता है।

पिछले साल हमारा सालाना टर्नओवर 3.5 करोड़ था जबकि इस साल 10 करोड़ होने का टारगेट है। टोटल टर्नओवर में नेट फ्रॉफिट 20% के करीब होता है। ढ़ाई हजार से अधिक हमारे कस्टमर हैं। एक लीटर रियूज कुकिंग ऑयल की कीमत 30 रुपए होती है। एक लीटर रियूज कुकिंग ऑयल से 75% से 85% तक बायोडीजल निकाला जा सकता है। यह ऑयल की क्वालिटी पर भी डिपेंट करता है। इसका प्रोसेसिंग कॉस्ट 20 रुपए के करीब आता है।

मार्केट में बायोडीजल की कीमत अभी 90 रुपए प्रति लीटर के करीब है। इसका इस्तेमाल एविशन सेक्टर, रेलवे और ट्रांसपोर्ट सेक्टर में किया जाता है। नई बायोडीजल पॉलिसी के मुताबिक केंद्र सरकार ने 2025 तक डीजल के इस्तेमाल होने वाले सेक्टर में 5% बायोडीजल मिलाने की अनुमति दी है, लेकिन कुछ राज्यों में 10 से 20 % तक ब्लैंडिंग की जा रही है।

केंद्र का कहना है कि अभी देश में मौजूद मशीनरी डीजल में 20% बायोडीजल के मिलावट को ही झेल सकती है।

चलते-चलते सुशील हम सभी के लिए एक जरूरी मैसेज भी देते हैं। कहते हैं, लोगों में अवेयर होने की सबसे ज्यादा जरूरत है, क्योंकि हमें होटल ओनर, रेहड़ी वालों से पूछना चाहिए कि वो जिस ऑयल में समोसा या पकोड़ा तल रहे हैं, वो कितनी बार इस्तेमाल किया जा चुका है।

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